Tuesday, October 12, 2010

तमन्ना


       
कभी चाँद सा रोशन होने की तमन्ना है,
तो कभी सितारों सा जगमगाने को जी चाहता है।
कभी बारिश की हर बूंद मोतियों सी लगती है,
तो कभी इनसे दूर जाने को जी चाहता है।
यूं तो मुक्म्मल है जिन्दगी हर खाब पुरा है,
तो कभी खाबों से परे नये खाब सजाने को जी चाहता है।
जिन्दगी तू इतनी करवटें ना लिया कर,,
कि तेरी हर करवत पे मौत को गले लगाने को जी चाहता है।
कभी सूखे पत्तों पर दिल रोता है बच्चों कि तरह,
तो कभी खिली हुई हर कली पर मुस्कराने को जी चाहता है।
कभी खुदा की दी हुई जिन्दगी पर गमगीन हो जाती हूँ ,
तो कभी उसकी जिन्दगी पर नाज करने को जी चाहता है।
कभी हर रिश्ते को पास देखना चाहता है ये दिल,
तो कभी हर रिश्ते को तोड जाने को जी चाहता है।
ये कैंसी उलझन है जिन्दगी?में खुद समझ नही पाती,
पर यूं ही तेरा हर लम्हा यादों में सजाने को जी चाहता है।

No comments:

Post a Comment